NTA-UGC-NET/JRF: Sanskrit (Paper II) Exam Guide

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ISBN: 978-93-87604-75-9
AUTHOR NAME: Dr. Priti Singh
EDITION: 2026
BOOK CODE: R-638
MEDIUM: Hindi
FORMAT: Paper Back
PRICE: 590

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UGC NET/JRF (PAPER-II) – संस्कृत की तैयारी के लिए यह पुस्तक उन विद्यार्थियों के लिए एक अनमोल संसाधन है, जो इस प्रतिष्ठित परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहते हैं। नवीनतम परीक्षा पैटर्न पर आधारित इस पुस्तक को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह आपकी तैयारी को आसान, प्रभावी और पूर्ण बनाए। इसमें विषय-वस्तु को व्यवस्थित, और सरल रूप में प्रस्तुत किया गया है, ताकि आप कम समय में अधिक अभ्यास कर सकें। यह पुस्तक न केवल आपको परीक्षा की हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार करेगी, बल्कि आपकी सफलता को सुनिश्चित करने का एक प्रभावी साधन भी साबित होगी।
पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:
• नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित सामग्रीः पुस्तक में UGC NET/JRF (PAPER-II) के नवीनतम पाठ्यक्रम और परीक्षा पद्धति को ध्यान में रखते हुए उत्कृष्ट अध्ययन सामग्री का संकलन किया गया है।
• साॅल्वड पेपरः इसमें पूर्व वर्षों के साॅल्वड पेपर शामिल किए गए हैं, जो परीक्षा पैटर्न को समझने के लिए सहायक है। कठिन और महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर सरल और विस्तारपूर्वक दिए गए हैं, ताकि छात्रों को अवधारणाएँ स्पष्ट रूप से समझ में आएं।
• बहुविकल्पीय अभ्यास-प्रश्नः पुस्तक में समान स्तर की परीक्षाओं के आधार पर चयनित बहुविकल्पीय अभ्यास-प्रश्नों का समावेश किया गया है, जो छात्रों को परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी में मदद करेंगे।
यह पुस्तक UGC NET/JRF (PAPER-II) की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी। इसके अध्ययन और अभ्यास का संयोजन इस परीक्षा में आपकी सफलता और उज्ज्वल भविष्य का मार्ग सुनिश्चित करेगा।

  • 8 Previous Years' Paper (Solved) June 2025 to June 2021;
  • Vaidik Sahitya; Darshan; Vyakran evam Bhasha Vigyan; Sanskrit Sahitya tatha Kavyashastra; Prashan Patra-III: Sanhita, Brahman, Aaranyak, Vaidik Vyakran; Upnishadik Vishayvastu tatha Avdharanaayein; Pramukh Shrutivakya; Vedaango ka Samanya Sankshipt Parichay; Mahabhashya (Paspshahik) Vyakaran evam Bhasha Vigyan; Sankhyakaarika, Vedantasar evam Arth Sangraha; Ramayana, Mahabharata, Puraan; Arthshastram, Manusmriti evam Yagyavalkya Smriti; Padh, Gadh evam Kavyashastram; Natak Parichay; Natya; Tark Sangraha (Dipika Vyakhya Sahit); Kavyaprakash, Vakroktijivitam, Kavyamimansa evam Rasgangadhar; Puralipi, Ashok ke Abhilekh, Mauryottar Kaal ke Abhilekh; Adhyayavaar Vastunisht Prashan.

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